॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #10 (66-70) ॥ ☆
तब औषधि ज्यों चमक से हरती अंधकार
त्यों कौशल्या पुत्र से हुआ प्रभा संचार ॥ 66॥
परम मनोरम रूप लख रक्खा उसका नाम
जग का मंगल रूप जो पुत्र परम प्रिय ‘राम’ ॥ 67॥
रघुकुल दीपक राम थे प्रभावान अति तेज
गृह प्रसूति के दीप सब हुये अतः निस्तेज ॥ 68॥
राम सहित माँ पलँग पै निखरी उसी प्रकार
कमल सहित ज्यों शरद में कृश गंगा की धार ॥ 69॥
कैकेयी सुत भरत भी हुआ शील – सम्पन्न
माँ ने शोभा पायी ज्यों लक्ष्मी विनय प्रपन्न ॥ 70॥
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈