॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #11 (91-93) ॥ ☆
देव कार्य की पूर्ति में सफल हो पाये नाम।
राम-लखन से कह यही चुप हुये परशूराम।।91।।
दशरथ ने की राम पर हृदय लगा सद्दृष्टि।
सुख पाया ज्यों दाव से दग्ध वृक्ष पा वृष्टि।।92।।
तब नरपति दशरथ बिता मग में दिन दो-चार।
गये अयोध्या जो विकल हो, थी रही निहार।।93अ।।
कमल-नयन, अरविंद-मुख रमणी लगी गवाक्ष।
वधु-मुख कमल विलोकने झुकी रही थी झाँक।।93ब।।
ग्यारहवां सर्ग समाप्त
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈