॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #12 (1-5) ॥ ☆
सर्गः-12
जीवन के सुख भोग सब, बढ़ी आयु के साथ।
प्रातः दीप से हो चले थे दशरथ महाराज।।1।।
श्वेत बाल मिस आ उतर जरा कान के पास।
‘‘राज्य राम को दे’’ – कहा ‘‘तज कैकेयी विश्वास’’।।2।।
नहर सींच जैसे हरा कर देती उद्यान।
त्यों ही इस शुभ खबर से खुश हुये सभी समान।।3।।
किन्तु कुटिल कैकेयी ने फेंकी ऐसी चाल।
शोक तप्त नृप हो गये, अँसुओं से बेहाल।।4।।
वर्षा जैसे सर्पों को बिल से देय निकाल।
कैकेयी ने भी दो वचन माँग लिये तत्काल।।5।।
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈