॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #12 (11-15) ॥ ☆
सर्गः-12
हुआ अयोध्या राज्य, बिन राजा के अति दीन।
छिद्रान्वेषी शत्रुगण, करने लगे मलीन।।11।।
तब अमात्यों ने भरत को, जो थे तब ननिहाल।
लेने भेजे मंत्रिगण बिना कहे कुछ हाल।।12।।
आके जाना भरत ने पिता-मरण की बात।
विमुख हुये, माँ, राज्य से सह न सके आघात।।13।।
सेन सहित तहँ-गये भरत जहाँ गये थे राम।
रोये लख वे विषम थल जहाँ किया विश्राम।।14।।
कहा भरत ने राम से, हुये दिवंगत तात।
राज्य-लक्ष्मी धर्म से बड़े की है सौगात।।15अ।।
चलें अयोध्या इसलिये और करें उपभोग।
कर सहता मैं कभी भी नीिं उसका उपयोग।।15ब।।
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈