॥ श्री रघुवंशम् ॥

॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #12 (16-20) ॥ ☆

सर्गः-12

 

किया राम ने भरत का अनुनय अस्वीकार।

परिवेत्ता बनने भरत हुये बहुत लाचार।।16।।

 

पितृ आज्ञा को त्यागने राम न थे तैयार।

चरणपादुका गह भरत पाये कुछ आधार।।17अ।।

 

राज्यदेवि के रूप में राम पादुका पूज।

राज चलाया भरत ने पा उनसे ही सूझ।।17ब।।

 

बनकर प्रतिनिधि राम के किया न नगर प्रवेश।

नंदि-ग्राम में रहे रख अपना तापस वेश।।18।।

 

अग्रज में दृढ़ भक्ति रख, लोभ-रहित मन साफ।

किया भरत ने प्रायश्चित माता के कृत पाप।।19।।

 

वयोवृद्ध इक्ष्वाकु नृप के कर सब आचार।

किया राम ने कम उमर में ही वन संचार।।20।।

 

© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’   

A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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