॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #12 (46-50) ॥ ☆
सर्गः-12
दुष्ट कथित अपशब्द ज्यों सहज नहीं स्वीकार।
किया तथा श्रीराम ने ‘दूषण’ का संहार।।46।।
‘खर’ ‘त्रिशरा’ पर भी किया क्रमिक बाण-सन्धान।
लगा किन्तु, जैसे चले एक साथ सब बाण।।47।।
देह छेद बाहर गये तीक्ष्ण राम के बाण।
पान किया क्षणमात्र में तीनों जीवन-प्राण।।48।।
राक्षस सेना उस बड़ी में, सब के शिर काट।
रूण्ड-मुण्ड से भूमि सब दिया शेरों ने पाट।।49।।
देव-द्रोही राक्षस सभी राम से लड़कर आप।
गिद्धपंखों की छाँव में सो गये मर चुपचाप।।50।।
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈