॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #12 (86-90) ॥ ☆
सर्गः-12
मातलिने पहना दिया इंद्रकवच रक्षार्थ।
शत्रु अस्त्र सब हो गये कमल-पत्र, बेधार।।86।।
मिले पराक्रमी शत्रु द्वय बहुत समय के बाद।
राम औ’ रावण युद्ध तब हुआ वहाँ चरितार्थ।।87।।
नष्ट हो चुका पूर्व ही जिसका सब परिवार।
वह बहुभुज रावण था पर सक्रिय उसी प्रकार।।88।।
जिसने जीते देव कई शिव को दे सिर दान।
उस शत्रु के गुणों का भी राम को था सम्मान।।89।।
अति क्रोधी रावण ने तब भी करके अभिमान।
राम की दक्षिण भुजा में मारा अपना बाण।।90।।
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈