॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #12 (91-95) ॥ ☆
सर्गः-12
राम ने मारा तीर जो रावण का उर चीर।
गया समा पाताल में हरने वहाँ की पीर।।91।।
शब्द शब्द को काटते अस्त्र शस्त्र की ओर।
राम औ’ रावण युद्ध का मचा भयानक शोर।।92।।
जैसे दो मदमत्त गज की न जीत न हार।
उन दोनों के युद्ध का रूप था उसी प्रकार।।93।।
मारण और प्रतिकार में छोड़े गये जो अस्त्र।
देव पुष्प वर्षा से हुई उन्हें शांति न हर्ष।।94।।
तब रावण ने राम पर मारी गदा कठोर।
जो ‘शतघ्नी’ थी नाम से कील खचित था छोर।।95।।
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈