॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #12 (101-104) ॥ ☆
सर्गः-12
आशंकित थे देवता कर न सके विश्वास।
कटे कण्ठ जुड़ जाँय न फिर, था भय का आभास।।101।।
राम विजय की खुशी में बरसे सुरभित फूल।
लोकपाल गज-मद भ्रमर तज सुगंध में भूल।।102।।
तब मातलि श्रीराम से ले आज्ञा कर जोर।
रथ को लेकर ध्वजा सह चला स्वर्ग की ओर।।103।।
दिया राम ने विभीषण को लंका का राज।
अग्निपूत सीता को ले होकर पूरण काज।।104अ।।
‘पुष्पक’ में ले साथ सब लखन सुग्रीव हनुमान।
किया अयोध्या की तरफ खुशी-खुशी प्रस्थान।।104ब।।
बारहवां सर्ग समाप्त
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈