॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #13 (76 – 79) ॥ ☆
सर्गः-13
अनुज सहित श्रीराम फिर जब पुष्पक-आसीन।
लगे कि बुध गुरू साथ है चंद्र मेघ-आसीन।।76।।
की सीता पद वन्दना, कर जिनका उद्धार।
राम लाये वाराहवत् जल से धरा उबार।।77अ।।
अथवा जैसे चंद्रमा को वर्षो के बाद।
करता मेघों से शरद है बिलकुल आजाद।।77ब।।
सीता माँ के चरण छू भरत जटा निष्पाद।
हुये परस्पर और भी पावन अपने आप।।78।।
जन समूह संचरित था जिन आगे थे राम।
पहुँचे उपवन अयोध्या पट-प्रासाद ललाम।।79।।
तेरहवां सर्ग समाप्त
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈