हिन्दी साहित्य – कविता – ☆ कृष्ण के पद ☆ श्री संतोष नेमा “संतोष”

श्री संतोष नेमा “संतोष”

 

(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी का e-abhivyakti में स्वागत है। आपको धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार आपको विरासत में मिले हैं। आपके पिताजी स्वर्गीय देवी चरण नेमा जी ने कई भजन और आरतियाँ लिखीं थीं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है। 1982 से आप डाक विभाग में कार्यरत हैं।  आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। आप कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। आज प्रस्तुत हैं आपकी  कृष्ण भक्ति में  लीन भक्तिभाव पूर्ण  रचना   “कृष्ण के पद”)

संक्षिप्त परिचय

जन्म –  15 जुलाई 1961 (सिवनी, म. प्र.)
सम्मान/अलंकरण –
2015 – गुंजन काला सदन द्वारा ‘काव्य प्रकाश’
2017 – जागरण द्वारा ‘साहित्य सुधाकर’
2018 – गूंज द्वारा ‘साहित्यरत्न’
2018 – गूंज कला सदन ‘सन्त श्री’
2018 – राष्ट्रीय साहित्यायन साहित्यकार सम्मेलन, ग्वालियर ‘दिव्यतूलिका साहित्यायन सम्मान’
प्रतिष्ठित संस्थाओं वर्तिका, अखिल भारतीय बुन्देली परिषद, नेमा दर्पण, नेमा काव्य मंच आदि द्वारा समय-समय पर सम्मानित
भजनों की रिकॉर्डिंग – आपके द्वारा रचित भजनों की रिकॉर्डिंग श्री मिठाइलाल चक्रवर्ती की सुमधुर आवाज में की गई है जो यूट्यूब में  भी उपलब्ध है

 

☆ कृष्ण के पद ☆

 

मैं तो राधे राधे गें हों

प्रेम भरा जिसने जीवन में, गुरु पद उन खों दें हों

राधे राधे जपा कृष्ण ने, मैं भी अब जप लें हों

जाकी शरण सबहिं जन चाहें, शरण तिहारी जें हों

पूजा पाठ भजन न जानू, प्रेमहिं मन भर लें हों

जब भी मिल हैं श्याम सलोने, देखत ही हरषे हों

भटक रहा है मन माया में, ओखों अब समझें हों

“संतोष” मिले तभी अब हमको, दर्शन जब कर लें हों

 

रसना भजले कृष्ण कन्हाई

मीरा भज कर हुई बावरी, सुध बुध सबहिं गवाई

माया के फेर में हमने, सीखी सिर्फ कमाई

अंतर्मन से प्रीत न जोड़ी, कीन्हि कबहुँ न भलाई

विरह वेदना वो क्या जानें, जिनहिं न प्रीत लगाई

राधा सा नहीं बड़भागी, समझीं जो प्रभुताई

बिनु हरि भजन “संतोष” कहां, समझें यह सच्चाई

 

कब सुध लै हो कृष्ण मुरारी

अंत समय की आई बेला, पकड़ो बांह हमारी

मुझ दीन को दे दो सहारा, तुम ही हो हितकारी

चरणों के सेवक हम तुम्हरे, हम ही तुम्हरे पुजारी

तेरी दया सभी पर बरसे, हम भी हैं अधिकारी

भव सागर अब पार लगा दो, गिरधर कृष्ण मुरारी

है “संतोष” दरश का प्यासा, सुन लो हे बनवारी

 

@ संतोष नेमा “संतोष”

आलोकनगर, जबलपुर (म. प्र.)

मोबा 9300101799