॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #14 (46 – 50) ॥ ☆
रघुवंश सर्ग : -14
परशुराम ने किया था माँ पर कठिन प्रहार।
पिता की आज्ञा मात्र थी उस कृति का आधार।।46अ।।
गुरूजन के आदेश का बिना सोच हो मान।
इससे आज्ञा का किया लक्ष्मण ने सम्मान्।।46ब।।
खुशी खुशी सीता चढ़ी रथ पर मन अनुकूल।
थे सुमंत्र रथ सारथी, लक्ष्मण के मन शूल।।47।।
सीता ने यह वन गमन समझा प्रिय का प्यार।
कभी कल्पतरू सा जो था, अब वह था तलवार।।48।।
गुप्त रखी थी लखन ने सीता से जो बात।
कही दाहिने नेत्र ने फड़क, किया आघात।।49।।
नेत्र-स्फुरण अपशकुन मन में बढ़ा विषाद।
सीता ने, ‘शुभ हो’ कहा, किया राम को याद।।50।।
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈