॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #14 (76 – 80) ॥ ☆
रघुवंश सर्ग : -14
मुनिगण आवागमन से पूर्ण है यह स्थान।
शोक पापहारी यहाँ तमसा तट स्नान।।76अ।।
इष्ट देव पूजन यहाँ देता मन को शांति।
सौम्य प्रकृति मन की यहाँ हरती सकल अशांति।।76ब।।
ऋतु ऋतु के नव पुष्प-फल पूजन हित नीवार।
मुनि कुमारियाँ करेंगी पीड़ा का परिहार।।77।।
अपने बल अनुरूप रख भरे घड़ों का भार।
सींच पौधों को पाओगी उनका शिशुवत प्यार।।78।।
अभिनंदन स्वीकारती दया भाव से साथ।
सीता आश्रम आई जहाँ मृग थे शांत सनाथ।।79।।
चंदा की अंतिम कला ज्यों ओषधि हित सार।
बाल्मीकि आश्रम को हुई सिय भी उसी प्रकार।।80।।
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈