॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #15 (56 – 60) ॥ ☆
रघुवंश सर्ग : -15
पत्नि त्याग से भुजा जो कष्ठ श्लेष अज्ञात।
उससे शस्त्र ग्रहण किये भूषण सम रघुनाथ।।56अ।।
जब लौटे वे अयोध्या ब्राह्मण का मृतपुत्र।
यमपुर से आ लौट कर, था सजीव फिर तत्र।।56ब।।
ब्राह्मण ने पा पुत्र को, राम का कर गुणगान।
क्षमायाचना की जो पहले की थी निंद्रा-दान।।57।।
वर्षा कर ज्यों मेघ यश पाता उगा के धान।
अश्वमेघ कर राम भी नृपों में हुये महान।।58।।
आमंत्रित ऋषिगण कई आये राम के पास।
सभी वे जिनके धरा और दिव्य लोक था वास।।59।।
उन सबको पा अयोध्या चतुर्मुखी शुभ-द्वार।
हुई ब्रम्हा सी सहज ही शोभित सकल प्रकार।।60।।
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈