हिन्दी साहित्य – कविता – ☆ हर वर्ष सा गुरुपर्व देखो फिर से आया है ☆ – डॉ प्रेम कृष्ण श्रीवास्तव

गुरु पुर्णिमा विशेष 

डॉ प्रेम कृष्ण श्रीवास्तव 

 

(डॉ. प्रेम कृष्ण श्रीवास्तव जी की एक  भावप्रवण कविता।)

 

☆ हर वर्ष सा गुरुपर्व देखो फिर से आया है ☆

 

हर वर्ष सा गुरुपर्व देखो फिर से आया है,

गुरुओं की स्मृति जगाने मन में आया है।

मन में बहते गुरु प्रेम का ये सिंधु लाया है,

गुरुकृपा वात्सल्यता की सौगात लाया है।।

हर वर्ष  – – – – – – – – – – – आया है।

 

गुरूः बृह्मा गुरुः विष्णु गुरुः देवो महेश्वरः,

गुरूः साक्षात् परबृहम् का मंत्र लाया है।

गुरू सच्चा मिल जाए तो मिलता है ईश्वर,

जीवन में सफलता के वो सोपान लाया है।।

हर वर्ष – – – – – – – – – – – – आया है।

 

गुरू वशिष्ठ और विश्वामित्र की ही कृपा थी,

दोनों के सान्निध्य ने राम त्रेता में  बनाया है।

सांदीपनी ने द्वापर में कृष्ण बलराम लाया है,

द्रोणाचार्य की शस्त्र विद्या ने अर्जुन बनाया है।।

हर वर्ष  – – – – – – – – – – – – – – आया है।

 

परशुराम ने गंगापुत्र को अजेय भीष्म बनाया है,

चाणक्य ने चंद्रगुप्त से बृहद भारत कराया है।

रामदास की राष्ट्रीयता ने शिवा जी बनाया है,

नानक के अद्वैत ने सिखों को मार्ग दिखाया है।।

हर वर्ष – – – – – – – – – – – – – – – आया है।

 

गोरखनाथ ने मछंदर से नाथ संप्रदाय चलाया है,

रामानंद ने कबीर को गढ़ कबीर पंथ चलाया है।

रत्ना ने तुलसी को भक्त बना रामायण रचाया है,

रामकृष्ण ने नरेंद्र को गढ़ वैश्विक यश बढ़ाया है।।

हर वर्ष – – – – – – – – – – – – – – – आया है।

 

आज गुरूओं की दुर्दशा पर मन दुखी हो गया है,

आज गुरू कोचिंग संस्थानों का दास हो गया है।

आज गुरु राजनीति का शिकार क्यों हो गया है,

वो बिका उसका चारित्रिक पतन क्यों हो गया है।।

हर वर्ष  – – – – – – – – – – – – – – – आया है।

 

डा0.प्रेम कृष्ण श्रीवास्तव