प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे
☆ – नववर्ष के दोहे – ☆ प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे
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नया हौसला धारकर, कर लें नया धमाल।
अभिनंदित करना हमें, सचमुच में नव काल।।
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नवल चेतना संग ले, करें अग्र प्रस्थान।
होगा आने वाला वर्ष तब, सचमुच में आसान।।
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वंदन करने आ रहा, एक नया दिनमान।
कर्म नया,संकल्प नव, गढ़ लें नया विधान।।
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बीती बातें भूलकर, आगे बढ़ लें मीत।
तभी हमारी ज़िन्दगी, पाएगी नव जीत।।
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कटुताएँ सब भूलकर, गायें मधुरिम गीत।
तब सब कुछ मंगलमयी, होगा सुखद प्रतीत।।
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देती हमको अब हवा, एक नया पैग़ाम।
पाना हमको आज तो, कुछ चोखे आयाम।।
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कितना उजला हो गया, देखो तो दिन आज।
है मौसम भी तो नया, बजता है नव साज़।।
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पायें मंज़िल आज तो, कर हर दूर विषाद।
नहीं करें हम वक़्त से, बिरथा में फरियाद।।
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साहस से हम लें खिला, काँटों में भी फूल।
दुख पहले सुख बाद में, यही सत्य का मूल।।
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अभिनंदित हो वर्ष नव, बिखरायें उल्लास।
कभी न भाई मंद हो, पलने वाली आस।।
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© प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे
प्राचार्य, शासकीय महिला स्नातक महाविद्यालय, मंडला, मप्र -481661
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