॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #17 (36 – 40) ॥ ☆
रघुवंश सर्ग : -17
नगर अयोध्या के बड़े मंदिर के आराध्य।
सब देवों ने की कृपा उस पर अमित अगाध।।36।।
सूख न पाई वेदिका उसके पहले आप।
सागर तट तक, अतिथि का पहुंचा तेज प्रताप।।37।।
गुरू वशिष्ठ के संग-संग, वीर अतिथि के बाण।
कौन था ऐसा लक्ष्य जो हो न सके संधान।।38।।
बैठ धार्मिक सजग सब सभासदों के साथ।
धर्मोचित सब वादियों के सुनते थे वाद।।39।।
सुन भृत्यों की प्रार्थना उचित नियम अनुसार।
याचित फल भी शीघ्र ही करते थे स्वीकार।।40।।
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈