॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग # 18 (6 – 10) ॥ ☆
रघुवंश सर्ग : -18
श्रावण सा सुन्दर श्याम वर्ण ‘नभ’ नाम तनय नल ने पाया।
जिसका यश नभचारी गंधर्वो ने वर्षाधन सा गाया।।6।।
धर्मी राजा नल ने ‘नभ’ को दे उत्तर कोशल राज्य दान।
वद्धावस्था में मृग-सेवित वन को स्वमुक्ति हित किया प्रयाण।।7।।
‘नभ’ ने सुत पाया ‘पुण्डरीक’ जो हुआ मान्य दिग्गज समान।
जो विष्णु सदृश लक्ष्मी की निधि सा हुआ राज्य में भासमान।।8।।
फिर धनुधारी नृप ‘पुण्डरीक’ ने ‘क्षेमधन्वा’ को योग्य जान।
प्रस्थान किया वन को तपहित दे राज्य-पुत्र को उचित मान।।9।।
था ‘क्षेम-धन्वा’ का तनय एक जो ‘देवनीक’ कहलाता था।
जो था सुयोग्य सेना नायक देवो सम समझा जाता था।।10।।
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈