श्री आशिष मुळे

☆ कविता ☆ “जिंदगी एक सवाल” ☆ श्री आशिष मुळे ☆

जिंदगी कभी कुछ देती नही है

जिंदगी बस सवाल खड़े करती है

अगर खोज पाओ सही जवाब

जन्नत अपने आप खुल जाती है ।

 

ये ऐसा क्यों है?

इसमें ऐसा क्या है?

ये मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है?

इनका भी एक जवाब होता है ।

 

जब लगे मुझमें कमी क्या है?

यही जवाब की शुरुआत होती है

हमेशा बड़ा रखिये  दिल को

जवाब अक्सर लंबा होता है ।

 

जो हो खोजकर्ता खुद का

जवाब हो सरल उसका

जो हो वैज्ञानिक दूसरों का

लंबा हो सवाल उसका ।

 

© श्री आशिष मुळे

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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