प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे

☆ “सावन की कुंडलिया…” ☆ प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे ☆

(१)

सावन आया मन रहा,  बूंदों का त्योहार।

मौसम को तो मिल गया, क़ुदरत का उपहार।।

क़ुदरत का उपहार, दादुरों में खुशहाली।

खेतों में मुस्कान, सिंचाई है मतवाली।।

मेघों का उपकार, धरा पर जल है आया।

स्वर गूंजें चहुंओर, आज तो सावन आया।।

(२)

सावन आया द्वार पर, करने सबसे प्यार।

मेघों द्वारा हो रहा, वर्षा का सत्कार।।

वर्षा का सत्कार, स्रोत जल के खुश दिखते।

कविगण में है हर्ष, सभी कविताएं लिखते।।

नाचें वन में मोर, सुखद पावस की माया।

आल्हा की है तान, बंधुवर सावन आया।।

(३)

सावन आया झूमकर, गाता हितकर गीत।

वर्षा रानी बन गई, कृषकों की मनमीत।।

कृषकों की मनमीत, नदी-नाले मस्ती में।

जंगल में है जोश, पेड़ सारे हस्ती में।।

मौसम का यशगान, हवाओं का रुख भाया।

उत्साहित सब लोग, सुहाना सावन आया।।

(४)

सावन आया है चहक, मौसम में आवेग।

मेघों ने हमको दिया, जल का पावन नेग।।

जल का पावन नेग, क्यारियों में रौनक है।

नदियों में सैलाब, बस्तियों में धक-धक है।

राखी का त्योहार, खुशी के पल लाया है।

ख़ूब पले अनुराग, देख सावन आया है।।

(५)

सावन आया ऐ सुनो, सब कुछ है अनुकूल।

आतप के चुभते नहीं, अब तो तीखे शूल।।

अब तो तीखे शूल, शीत की लय है प्यारी।

मौसम रचे खुमार, धरा लगती है न्यारी।।

सबने पीकर चाय, गर्म मुंगौड़ा खाया।

बिलखें ठंडे पेय, जोश में सावन आया।।

(६)

सावन आया मीत सुन, मादक चले बयार।

फिर भी तू क्यों दूर है, सूना मम् संसार।।

सूना मम् संसार, नहीं कुछ भी है भाता।

बांहें हैं बेचैन, एक पल चैन न आता।।

दिल में जागी प्रीति, मिलन का भाव समाया।

आज यही बस सत्य, रसीला सावन आया।।

सावन है नव चेतना, सावन इक उत्साह। 

सावन इक चिंतन नया, सावन है नव राह।। 

© प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे

प्राचार्य, शासकीय महिला स्नातक महाविद्यालय, मंडला, मप्र -481661

(मो.9425484382)

ईमेल – [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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