सुश्री प्रणिता खंडकर
☆ कविता – 💃 “सहेलियाँ…” 🦋 ☆ सुश्री प्रणिता खंडकर ☆
हम जब साथ में होते हैं ,
दुनिया अलग बसाते हैं !
यादों के इस सफर में,
बचपन को ढूंढते हैं !
छुट्टियों में कितना खेलते,
जंगल के बेर भी खाते,
पढ़ाई से, मैदान से,
किस्से जुड़े कितने सारे!
ठहाके लगाते रहतें हैं ,
‘कितने हम नासमझ थे’,
पेडों पर रहनेवाले,
पिशाचों से कितना डरतें!
हँस- हँस के बिदा लेते हैं ,
वादा फिर मिलने का करके,
वर्तमान से मिल लेते हैं ,
उर्जा-उमंग नई लेके!
© सुश्री प्रणिता खंडकर
ईमेल – [email protected] वाॅटसप संपर्क – 98334 79845.
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈