सौ. रेखा दयानंद हिरेमठ

☆ – मेरी प्यारी कलम… – ☆ सौ. रेखा दयानंद हिरेमठ

उँगलियों से लिपटी जब कलम

 खिल उठ रहे हैं आशाओं के कमल

 

 लिखावटों की न जाने कितनी नस्ल 

कभी कहानी तो कभी गझल

 

झूम झूम के तराने गा के तू टहल

बस काट दे दुःख की हर फसल

 

कलम कभी मेरी ना उगले जहर

और यूं ही चलती रहे ये रहगुजर

 

शब्दों के बादल आ रहे घुमड़ 

जो कुछ है अंदर आ रहा उमड़ 

 

योजना है ये, भगवान की परम

मै बस जरिया, न छुऐ मुझे अहम

😍दEurek(h)a🥰

© सौ. रेखा दयानंद हिरेमठ

21-8-2023

सांगली

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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