हिन्दी साहित्य – कविता – ☆ दोहा छंद ☆ – चंद्रकांता सिवाल “चंद्रेश”
सुश्री चंद्रकांता सिवाल “चंद्रेश”
(सुश्री चंद्रकांता सिवाल “चंद्रेश” जी का e-abhivyakti में हार्दिक स्वागत है। प्रस्तुत है उनके कुछ दोहे-छंद। )
☆ दोहा छंद☆
घर घर होना चाहिये, नारी का सम्मान।
सच्चे अर्थों में यही, है जगकी पहचान।।
नारी जगकी रचयिता, नारी जगका सार।
नारी से ही सज रहा, सुंदर सा घरद्वार।।
नारी प्रतिमा प्रेम की, नारी हर श्रृंगार।
बाहर से शीतल मगर, भीतर से अंगार।।
नारी तुम नारायणी, नारी तुम्हीं हो वेद।
सुप्त ह्रदय में स्वामिनी, भरती हो संवेद।।
नारी की महिमा बड़ी, जान रहे सब देश।
नारी प्रतिभा बहुमुखी, कहती है “चन्द्रेश”
कवियित्री चन्द्रकांता सिवाल ” चंद्रेश ”
न्यू दिल्ली – 110005
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