हिन्दी साहित्य – कविता – ☆ बेटी हूँ ☆ – श्री कुमार जितेन्द्र
श्री कुमार जितेन्द्र
(युवा साहित्यकार श्री कुमार जितेंद्र जी का e-abhivyakti. श्री कुमार जीतेन्द्र कवि, लेखक, विश्लेषक एवं वरिष्ठ अध्यापक (गणित) हैं.)
? बेटी हूँ ?
हे! माँ
मैं आपकी बेटी हूँ,
हे! माँ
में खुश हूँ,
ईश्वर से दुआ करती हूँ
आप भी खुश रहें,
ख़बर सुनी है
मेरे कन्या होने की,
आप सब मुझे
अजन्मी को,
जन्म लेने से
रोकने वाले हो,
मुझे तो एक पल
विश्वास भी नहीं हुआ,
भला मेरी माँ,
ऎसा कैसे कर सकती है?
हे! माँ
बोलो ना
बोलो ना,
माँ – माँ
मैंने सुना
सब झूठ है,
ऎसा सुनकर मैं
घबरा गई हूँ,
मेरे हाथ भी
इतने नाजुक हैं,
कि तुम्हें रोक
नहीं सकती,
हे! माँ
कैसे रोकूँ तुम्हें,
दवाखाने जाने से,
मेरे पग
इतने छोटे,
कि धरा पर
बैठ कर
जिद करूँ,
हे! माँ
मुझे बाहर
आने की बड़ी
ललक है,
हे! माँ
मुझे आपके आँगन को,
नन्हें पैरो से
गूंज उठाना है,
हे! माँ
में आपका
खर्चा नहीं बढ़ाऊँगी,
हे! माँ
में बड़ी दीदी की,
छोटी पड़ी पायजेब
पहन लूंगी,
बेटा होता
तो पाल लेती तुम,
फिर मुझमे
क्या बुराई है,
नहीं देना
दहेज,
मत डरना
दुनिया से,
बस मुझे
जन्म दे दो,
देखना माँ
मेरे हाथों,
मेहंदी सजेंगी,
मुझे मत मारिए,
खिलने दो,
फूल बन के,
हे! माँ,
में आपकी बेटी हूँ,
✍?कुमार जितेन्द्र
साईं निवास – मोकलसर, तहसील – सिवाना, जिला – बाड़मेर (राजस्थान)
मोबाइल न. 9784853785