सुश्री प्रणिता खंडकर
☆ कविता – “नववर्ष पर…” 🕯️ ☆ सुश्री प्रणिता खंडकर ☆
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बीते हुए कल की तरफ,
मुडकर जरा देखना |
🕯️
खुशियोंवाले लम्हों को,
एक बार फिर जी लेना |
🕯️
दुखभरी यादों का मगर,
गम अभी न करना,
🕯️
तब भी थे साथ, उनका,
शुक्रिया अदा करना |
🕯️
जिंदगी की चुनौतियों को,
हिम्मत से गले लगाना,
🕯️
कामयाबी का स्वागत,
बडी विनम्रता से करना |
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कार्य के तनाव में,
इन्सानियत न खोना,
प्रेम से विश्वास का,
दीपक जलाये रखना |
🕯️
© सुश्री प्रणिता खंडकर
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≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈