डॉ अंशु शर्मा

(डॉ अंशु शर्मा नई दिल्ली की निवासी, एक सरकारी सेवा निवृत्त एलोपैथिक चिकित्सक हैं। उन्होंने दिल्ली के प्रख्यात लेडी हार्डिंग कॉलेज से स्नातक और दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की, तत्पश्चात् सीजीएचएस में क़रीब ३० वर्ष, एवं केंद्रीय स्वास्थ्य सेवा निदेशालय में Public health officer के पद पर ९ वर्ष कार्यरत रहने के बाद २०२२ में निजी कारणों से सेवानिवृत्ति ले ली थी। उन्हें द्विभाषीय कविताये ( हिन्दी और अंग्रेजी में ) लिखने में क़रीब १२ वर्षो का अनुभव हैं और उनकी हिन्दी कविताओं की पुस्तक “अंतर्मन के संवाद” २०२० में प्रकाशित हो चुकी है।)

आज हम प्रस्तुत कर रहे हैं उनकी लिटररी वारियर्स ग्रुप द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में पुरस्कृत कविता ~ ‘इस जनवरी का माधुर्य…~. 

☆ ~ ‘इस जनवरी का माधुर्य…’ ~? ☆

(लिटररी वारियर्स ग्रुप द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में पुरस्कृत कविता। कविता “इस जनवरी” शब्दों से प्रारम्भ होनी थीं।

इस जनवरी का आगमन हुआ , और नववर्ष आया है।

सर्द हवाएँ ख़ुशबू भरी, नया सा ख़ुमार छाया है।

बर्फ की चादर पड़ी हुई कहीं पर, कहीं चंपई धूप निखर आई है।

हर दिन एक नया इरादा, हर कोने में नई सी चमक आई है।

पर सर्दी की ठिठुरन से, बहुतों की उम्मीदें भी जलती हैं,

ठंड से काँपते हाथों में, चाय के संग, बात नई बनती है।

मीठी मीठी धूप की गुनगुनाहट, जोश से भरी सुबह ,

सर्दी का मौसम, प्रकृति का उल्लास हरेक जगह ।

 *

नववर्ष की इस संध्या पर सीख लें,हर दिन एक नया अवसर है।

गिर गिर के बार बार सँभलें, जीवन का यही सफ़र है।

सर्दी की धुँधके बाहर, रौशनी तलाशनी होगी,

सपनों को साकार करने की,  अपनी पूरी ज़िम्मेदारी होगी।

 *

इस जनवरी के माधुर्य के संग, नववर्ष को भरपूर जियो,

कड़कड़ाती ठंड में ,आत्मिक गर्मी से, सबके दिलों के क़रीब जाओ।

इस नये वर्ष के बहुमूल्य समय में, इक नई शुरुआत का संकल्प करो ।

अपने सपनों को गले लगाओ, हर रिश्ते का आदर करो।

 *

कल जो भी था, मीठा या कड़वा, उसे भूल जाओ,

आज के इस दिन को , अपनी हर मंज़िल बनाओ ।

जो भी हुआ और जो भी होगा, उस से अपना ध्यान हटाओ,

कर्म के योगी बन, बस सेवा भाव में लीन हो जाओ ।|

~ डॉ अंशु शर्मा

© डॉ अंशु शर्मा

≈ Editor – Shri Hemant Bawankar/Editor (English) – Captain Pravin Raghuvanshi, NM ≈
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