हिन्दी साहित्य – कविता – ☆ अभिलाषा ☆ – श्री कुमार जितेन्द्र
श्री कुमार जितेन्द्र
(युवा साहित्यकार श्री कुमार जितेंद्र जी कवि, लेखक, विश्लेषक एवं वरिष्ठ अध्यापक (गणित) हैं. प्रस्तुत है उनकी कविता “अभिलाषा”.)
☆ अभिलाषा ☆
माँ की अभिलाषा, पुत्र प्राप्ति की l
माँ की खुशियां, पुत्र प्राप्ति की ll
पुत्र न होने से, माँ को लगी निराशा l
माँ खुशियां की, पुत्र प्राप्ति की ll
दर – दर भटक, मन्नतें मांगी l
कभी आशा, कभी निराशा लगी ll
वर्षो बित खुशियों की, आशा जगी l
मन में शंका, परिवार में विश्वास जगा ll
वक़्त खुशियों का, पिटारा लाया l
चारों ओर पुत्र – पुत्र ख़बर लाया ll
मिठाइयां बटी, बधाइयाँ आई l
आंगन में माँ पुत्र की वाणी आई ll
वक़्त बिता, पुत्र के कदम बढ़े l
माँ को भविष्य की, अभिलाषा बढ़ी ll
माँ ने सपने सजाएं, पुत्र की अभिलाषा में l
सोचा न था बह जाएंगे, सपने वक्त की धारा में ll
पुत्र ने कदम बढ़ाए, वृद्धआश्रम में l
निराशा जगी, माँ की अभिलाषा में ll
आँखो में आंसू, नजरे पुत्र के सपनों में l
रुके न कदम, ढह गए माँ के सपने ll
माँ की अभिलाषा, पुत्र प्राप्ति की l
माँ की खुशियां, पुत्र प्राप्ति की ll
✍?कुमार जितेन्द्र
(कवि, लेखक, विश्लेषक, वरिष्ठ अध्यापक – गणित)
साईं निवास मोकलसर, तहसील – सिवाना, जिला – बाड़मेर (राजस्थान)
मोबाइल न 9784853785