हिन्दी साहित्य – कविता – ☆ दीपावली विशेष – दीया मिट्टी और मन का जलाएँ ☆ – श्री कुमार जितेन्द्र

श्री कुमार जितेन्द्र

 

(युवा साहित्यकार श्री कुमार जितेंद्र जी कवि, लेखक, विश्लेषक एवं वरिष्ठ अध्यापक (गणित) हैं. प्रस्तुत है दीपावली पर्व पर उनकी विशेष कविता “दीया मिट्टी और मन का जलाएँ”.)

 

☆ दीपावली विशेष – दीया मिट्टी और मन का जलाएँ ☆

 

*एक दीया मिट्टी का जलाएँ ।

दूसरा दीया मन का जलाएँ ।।*

 

अन्धकार से प्रकाशित करे ।

मिट्टी के दीये प्रज्वलित करे ।।

ईर्ष्या, द्वेष,अहं से मुक्ति पाए ।

मन के दीये की रोशनी पाए । 1।

 

*एक दीया मिट्टी का जलाएँ ।

दूसरा दीया मन का जलाएँ ।। *

फुटपाथ हाट से दीये खरीदे ।

बूढ़ी अम्मा को मुस्कुराहट दे ।।

दिखावटी वस्तुओं से दूरी करे ।

स्वदेशी वस्तुओं का क्रय करे । 2।

*एक दीया मिट्टी का जलाएँ ।

दूसरा दीया मन का जलाएँ ।।*

कपड़े व मिठाइयाँ बंटे गरीबों में ।

चेहरे पर मुस्कुराहट दिखे गरीबों में ।।

भूखे सोये न कोई इस दीवाली में ।

ग़रीबों के घर दीप जले दीवाली में । 3।

 

*एक दीया मिट्टी का जलाएँ ।

दूसरा दीया मन का जलाएँ ।।*

प्रेम, मित्रता,अपनत्व का भाव रखे ।

प्रकाश पर्व का भाईचारा रखे ।।

आओ इस दीवाली पर एक प्रण ले ।

कोई अकेला दीप न जले दीवाली में । 4 ।

 

*एक दीया मिट्टी का जलाएँ ।

दूसरा दीया मन का जलाएँ ।।*

 

कुमार जितेन्द्र

(कवि, लेखक, विश्लेषक, वरिष्ठ अध्यापक – गणित)

साईं निवास मोकलसर, तहसील – सिवाना, जिला – बाड़मेर (राजस्थान) मोबाइल न 9784853785