डॉ सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
(प्रस्तुत है अग्रज एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी द्वारा दीपावली पर्व पर रचित यह विशेष कविता “दीपक बन जाएं….”। )
☆ दीपावली विशेष – दीपक बन जाएं…. ☆
अब के दीवाली में, हम कुछ ऐसा कर जाएं
जहाँ अंधेरा हो उस देहरी, दीपक बन जाएं
बुझे-बुझे चेहरे हो, उनमें
आशा का संचार करें
रहे तिरस्कृत जो अब तक
हम गले लगाकर प्यार करें,
आंसू उनके पोंछे, जो अबतक नहीं मुस्काये
जहाँ अंधेरा हो………………………..।
जो वंचित हैं शिक्षा से
उनको हम विद्या दान करें
आडम्बर में उलझे हैं जो
उनका हम अज्ञान हरें,
दुर्व्यसनों से बचा, सही पथ उनको दिखलायें
जहाँ अंधेरा है………………………….।
बनें सहायक उनके हम
जो हैं अशक्त और दीन-हीन
उन्हें स्वच्छता पाठ पढ़ाएं
जिनके तन-मन है मलिन,
कैसे रहे निरोगी निर्मल, उनको समझाएं
जहाँ अंधेरा है………………………..।
फोड़ें वहाँ पटाखे हम
हो जहाँ कीटाणु रोगों के
फटे बही-खाते वे, जिन पर
लगे अंगूठे लोगों के,
बनकर हम बारूद, सबक अब उनको सिखलाये
जहाँ अंधेरा है……………..…………….।
© डॉ सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
जबलपुर, मध्यप्रदेश
मो. 9893266014