हिन्दी साहित्य – कविता – ☆ ओ सम्मान वालो ☆ – श्री मनीष तिवारी
श्री मनीष तिवारी
(प्रस्तुत है संस्कारधानी जबलपुर ही नहीं ,अपितु राष्ट्रीय स्तर ख्यातिलब्ध साहित्यकार -कवि श्री मनीष तिवारी जी की एक सार्थक एवं कटु सत्य को उजागर करती एक कविता “ओ सम्मान वालो ।” इसमें कोई दो मत नहीं है कि पुरस्कारों/सम्मानों की लालसा और इस दौड़ में अक्सर ऐसा हो रहा है। किन्तु, यहाँ यह कहना भी उचित होगा कि वास्तव में जो सम्मान के हकदार हैं वे इससे वंचित रह जाते हैं और सभी समान दृष्टि से देखे जाते हैं। फिर कई ऐसे भी हैं जो बिना किसी लालसा के शांतिपूर्वक स्वान्तः सुखाय साहित्य सेवा किये जा रहे हैं, जो कदापि इस रचना के पात्र नहीं हैं । श्री मनीष तिवारी जी को उनकी इस बेबाक कविता के लिए हार्दिक बधाई। )
☆ ओ सम्मान वालो ☆
ओ सम्मान वालो
ओ सम्मान वालो
लेना है शाल, श्रीफल, प्रशस्ति पत्र
तो रुपये निकालो
ओ सम्मान वालो
ओ सम्मान वालो
♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥
सम्मान करने वाली
थोक दुकान पर आओ
फुटकर सम्मान वाली
दुकान पर मत जाओ
हमसे यश पा लो
अपना चेहरा चमका लो
ओ सम्मान वालो
ओ सम्मान वालो
♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥
हमें इससे कोई मतलब नहीं
रचनाएं आपकी हैं
या आपके बाप की हैं
जिन रचनाओं को सुनकर
जनता आपको सर पर
उठा लेती है
उनमें आपकी कम
माँ बाप की छवि
ज्यादा दिखाई देती है,
पास आओ, बैठो
थोड़ा मुस्करा लो
ओ सम्मान वालो
ओ सम्मान वालो
♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥
हमें इससे क्या लेना देना
कि, आपने अपनी
उधार ली हुई प्रतिभा
सबको दिखाई है,
और पूर्वजों की रचनाएं लेकर
पुस्तक अपने नाम से छपवाई है।
तुम तो बस हमारे पास आओ
शाल, श्रीफल, प्रशस्ति पत्र पा लो
खुद सम्हलो और हमें सम्हालो
कार्यक्रम का खर्च निकालो
ओ सम्मान वालो
ओ सम्मान वालो
♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥
सम्मान के संयोजक महोदय
आपने जिन जिन विभूतियों का
सम्मान किया है,
विधाता ने भी
उनके भाग्य में क्या रचा है
समाज में उनका
सम्मान ही नहीं बचा है।
फिर भी,
आपने उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को
अनेकानेक विशेषण लगाकर
तथाकथित रूप से
जितनी तेजी से
पुरस्कृत और परिष्कृत किया है।
समाज ने उतनी ही तीव्र गति से
उसी दिन से उन्हें तिरस्कृत किया है।
आपसे निवेदन है
उनकी इज्ज़त बचा लो
अपना सम्मान पत्र, शाल, श्रीफल
उनके घर से
सरेआम उठा लो
ओ सम्मान वालो
ओ सम्मान वालो।
© पंडित मनीष तिवारी, जबलपुर ,मध्य प्रदेश
प्रान्तीय महामंत्री, राष्ट्रीय कवि संगम – मध्य प्रदेश
मो न 9424608040 / 9826188236