महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत ….पूर्वमेघः ॥१.९॥ ☆

मन्दं मन्दं नुदति पवनश चानुकूलो यथा त्वां

वामश चायं नदति मधुरं चातकस ते सगन्धः

गर्भाधानक्षणपरिचयान नूनम आबद्धमालाः

सेविष्यन्ते नयनसुभगं खे भवन्तं बलाकाः॥१.९॥

अतिमंद अनुकूल शीतल पवन दोल

पर जब बढ़ोगे स्वपथ पर प्रवासी

तो वामांग में तब मधुर कूक स्वन से

सुमानी पपीहा हरेगा उदासी

आबद्ध माला उड़ेंगी बलाका

समय इष्ट लख गर्भ के हित, गगन में

करेंगी सुस्वागत तुम्हारा वहां पर

स्व अभिराम दर्शन दे भर मोद मन में

 

© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव

A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय 

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