हिन्दी साहित्य – कविता – ☆ मेरी बिटिया ☆ – डॉ ऋतु अग्रवाल
डॉ ऋतु अग्रवाल
☆ मेरी बिटिया ☆
(आज प्रस्तुत है प्रख्यात लेखिका/कवियित्री डॉ ऋतु अग्रवाल जी की कविता “मेरी बिटिया”। संयोगवश आज के ही अंक में सुश्री निशा नंदिनी जी की एक और कविता “परिभाषा बेटियों की ” भी प्रकाशित हुई है और बेटियों से ही संबन्धित सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी की अङ्ग्रेज़ी कविता “Tearful Adieu” कल प्रकाशित की थी । निश्चित ही आपको ये तीनों कवितायेँ बेहद पसंद आएंगी।)
मेरी आन है मेरी शान है बेटी
मेरी सांसों की पहचान है बेटी
ममता का एहसास है बेटी
कुदरत का एहसान है बेटी
बाती बन दिए की, दूर करती अंधेरा
रोशनी बन लाती, मेरे जीवन में सबेरा ।
मेरे सपनों की बहार है बेटी
खिलते फूलों की मुस्कान है बेटी
मेरे आंगन की किलकारी है बेटी
मेरे जीवन सफर के, हर कदम की शान बनी
निराशा से आस बनी बेटी
मेरी बुलबुल, मेरी आंखों की पुतली है
मेरा हंसना, मेरा बिछौना है मेरी बेटी ।
बेटी के आने से घर में बहार आयी
पुलकित को गए रिश्ते, खुशियां ही खुशियाँ छायी
मुझ में भर दिया ममत्व
सत्कर्म से मिला, वरदान है मेरी बेटी |
© डॉ.ऋतु अग्रवाल