हिन्दी साहित्य – कविता – ‘नदी रुकती नहीं ’ – डॉ गंगाप्रसाद शर्मा ‘गुणशेखर’

डॉ गंगाप्रसाद शर्मा ‘गुणशेखर’ 

(डॉ गंगाप्रसाद शर्मा ‘गुणशेखर’ पूर्व प्रोफेसर (हिन्दी) क्वाङ्ग्तोंग वैदेशिक अध्ययन विश्वविद्यालय, चीन)

 

नदी रुकती नहीं 

 

पहाड़ से गिरकर भी

घुटने नहीं टेकती

उछलती,उफनती हुई

आगे बढ़ती है

शिलाखण्डों को दोनों हाथों से

ढकेलती है

यह नदी है

नदी रुकती नहीं

कहीं ठहरकर

उसे झील नहीं बनना है

कोई पोखर नहीं होना है

काई-कुंभी नहीं ढोना है

उसे बस बहना है

बहना ही है

नदी की असली पहचान

अपनी पहचान उसे नहीं खोना है

यही तो नदी का नदी होना है.

© डॉ गंगाप्रसाद शर्मा ‘गुणशेखर’