डॉ . प्रदीप शशांक
(डॉ प्रदीप शशांक जी द्वारा रचित एक सार्थक एवं सटीक लघुकथा “आगे क्या होगा ? ”.)
☆ लघुकथा – आगे क्या होगा ? ☆
सुषमा ने बहू को अपने लड़के के साथ हाथ में हाथ दिये बाहर जाते देखा तो वह बड़बड़ाई – ‘ बहु को देखो कैसे सलवार सूट में मटकती हुई जा रही है । आजकल तो सिर पर पल्ला लेने का रिवाज ही नहीं है । हमारे समय में तो सिर से जरा सा पल्ला खिसकने पर हमारी सास हमें काफी खरी खोटी सुना देती थी । ‘
सुरेश ने अपनी पत्नी को बड़बड़ाते हुए सुना तो वह बोले – ” अरी भागवान , क्यों अपना खून जला रही हो । अब तुम्हारा जमाना नहीं रहा , जमाना बदल गया है और बदलते जमाने के साथ हमें भी बदलना होगा इसी में हमारी भलाई है । ”
रामेश्वरी नें कुछ सोचते हुए कहा – ” आज की बहुएं सलवार सूट और जींस टाप पहन रही हैं। जब ये 25 -30 वर्ष बाद सास बनेंगी , तब इनकी बहुएं क्या पहनेंगी ?