हिन्दी साहित्य – नर्मदा परिक्रमा – द्वितीय चरण – कविता # 3 ☆ ज़हर ☆ – श्री प्रयास जोशी
श्री प्रयास जोशी
(श्री प्रयास जोशी जी का ई- अभिव्यक्ति में हार्दिक स्वागत है। आदरणीय श्री प्रयास जोशी जी भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड भोपाल से सेवानिवृत्त हैं। आपको वरिष्ठ साहित्यकार के अतिरिक्त भेल हिंदी साहित्य परिषद्, भोपाल के संस्थापक सदस्य के रूप में जाना जाता है।
ई- अभिव्यक्ति में हमने सुनिश्चित किया था कि – इस बार हम एक नया प्रयोग करेंगे । श्री सुरेश पटवा जी और उनके साथियों के द्वारा भेजे गए ब्लॉगपोस्ट आपसे साझा करने का प्रयास करेंगे। निश्चित ही आपको नर्मदा यात्री मित्रों की कलम से अलग अलग दृष्टिकोण से की गई यात्रा अनुभव को आत्मसात करने का अवसर मिलेगा। इस यात्रा के सन्दर्भ में हमने यात्रा संस्मरण श्री सुरेश पटवा जी की कलम से आप तक पहुंचाई एवं श्री अरुण कुमार डनायक जी की कलम से आप तक सतत पहुंचा रहे हैं। हमें प्रसन्नता है कि श्री प्रयास जोशी जी ने हमारे आग्रह को स्वीकार कर यात्रा से जुडी अपनी कवितायेँ हमें, हमारे प्रबुद्ध पाठकों से साझा करने का अवसर दिया है। इस कड़ी में प्रस्तुत है उनकी कविता “ज़हर ”।
☆ नर्मदा परिक्रमा – द्वितीय चरण – कविता # 3 – ज़हर ☆
अध्ययन के नाम पर
अब बताया जा रहा है
कि बीमारियों में
गाँजा
मददगार
—जैसे, सरकारें
चलाने में शराब
मददगार
—जैसे अफीम
धर्म चलाने में, मददगार
—जैसे वोट
लोकतंत्र
चलाने में, मददगार
—जैसे गुंडे
बदमाश, अपराधी
समाज चलाने में
मददगार
—पार्टियां चलाने में
पूंजीपति, मददगार
—कानून व्यवस्था
चलाने में
धंधा, मददगार
—धंधा चलाने में
भ्रष्टाचार, मददगार
—सब कुछ वैसे ही
जैसे, जहर को
मारने में
जहर मददगार
(नर्मदा परिक्रमा में, धुरंदर बाबा की धर्मशाला से लौटे तो आते ही हम ने अखबार पढा़–देश भर में गाँजे की खेती वैध करने की तैयारी का समाचार)
© श्री प्रयास जोशी
भोपाल, मध्य प्रदेश