हिन्दी साहित्य – नर्मदा परिक्रमा – द्वितीय चरण – कविता # 5 ☆ एवरेज ☆ – श्री प्रयास जोशी

श्री प्रयास जोशी

(श्री प्रयास जोशी जी का ई- अभिव्यक्ति में हार्दिक स्वागत है। आदरणीय श्री प्रयास जोशी जी भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स  लिमिटेड भोपाल से सेवानिवृत्त हैं।  आपको वरिष्ठ साहित्यकार  के अतिरिक्त भेल हिंदी साहित्य परिषद्, भोपाल  के संस्थापक सदस्य के रूप में जाना जाता है। 

ई- अभिव्यक्ति में हमने सुनिश्चित किया था कि – इस बार हम एक नया प्रयोग  करेंगे ।  श्री सुरेश पटवा जी  और उनके साथियों के द्वारा भेजे गए ब्लॉगपोस्ट आपसे साझा  करने का प्रयास करेंगे।  निश्चित ही आपको  नर्मदा यात्री मित्रों की कलम से अलग अलग दृष्टिकोण से की गई यात्रा  अनुभव को आत्मसात करने का अवसर मिलेगा। इस यात्रा के सन्दर्भ में हमने यात्रा संस्मरण श्री सुरेश पटवा जी की कलम से आप तक पहुंचाई एवं श्री अरुण कुमार डनायक जी  की कलम से आप तक सतत पहुंचा रहे हैं।  हमें प्रसन्नता है कि  श्री प्रयास जोशी जी ने हमारे आग्रह को स्वीकार कर यात्रा  से जुडी अपनी कवितायेँ  हमें,  हमारे  प्रबुद्ध पाठकों  से साझा करने का अवसर दिया है। इस कड़ी में प्रस्तुत है उनकी कविता  “ सहारा  ”। 

☆ नर्मदा परिक्रमा – द्वितीय चरण – कविता # 5 – एवरेज  ☆

 

फोटो देख,मित्र ने कहा-

अगली बार मैं भी चलूंगा

आप लोगों के साथ

—स्वागत है, बिल्कुल चलिये

हमारे साथ, किसी प्रकार की

कोई रोक-टोक और

फालतू तैयारी की

बहुत कम गुंजाइश है…

—लेकिन पहले

यह तो बताइये सर !

कि पैदल चलने में आदमी

अच्छा ऐवरेज

किस कारण से देता है

—अच्छे जूतों के कारण

—लाठी के कारण

—या फिर

कम बजन के कारण?

—इस बिषय में

हमारा अनुभव तो यह कहता है

कि इन सब के साथ

अगरआदमी / आनंद से भरी

इस कठिन यात्रा में

ड्रायफ्रुट की बजाए

दूध के साथ पोहा खाए तो

सुबह जल्दी उठने में

आना-कानी नहीं करता..

और अगर दूध में/बासी रोटी

गुड़ में मीड़ कर खाए

तो हर हाल में आदमी

18 किलो मीटर से

अधिक का ही/ ऐवरेज देगा…

 

©  श्री प्रयास जोशी

भोपाल, मध्य प्रदेश