हिन्दी साहित्य – नर्मदा परिक्रमा – द्वितीय चरण – कविता # 7 ☆ बादल गीत ☆ – श्री प्रयास जोशी
श्री प्रयास जोशी
(श्री प्रयास जोशी जी का ई- अभिव्यक्ति में हार्दिक स्वागत है। आदरणीय श्री प्रयास जोशी जी भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड भोपाल से सेवानिवृत्त हैं। आपको वरिष्ठ साहित्यकार के अतिरिक्त भेल हिंदी साहित्य परिषद्, भोपाल के संस्थापक सदस्य के रूप में जाना जाता है।
ई- अभिव्यक्ति में हमने सुनिश्चित किया था कि – इस बार हम एक नया प्रयोग करेंगे । श्री सुरेश पटवा जी और उनके साथियों के द्वारा भेजे गए ब्लॉगपोस्ट आपसे साझा करने का प्रयास करेंगे। निश्चित ही आपको नर्मदा यात्री मित्रों की कलम से अलग अलग दृष्टिकोण से की गई यात्रा अनुभव को आत्मसात करने का अवसर मिलेगा। इस यात्रा के सन्दर्भ में हमने यात्रा संस्मरण श्री सुरेश पटवा जी की कलम से आप तक पहुंचाई एवं श्री अरुण कुमार डनायक जी की कलम से आप तक सतत पहुंचा रहे हैं। हमें प्रसन्नता है कि श्री प्रयास जोशी जी ने हमारे आग्रह को स्वीकार कर यात्रा से जुडी अपनी कवितायेँ हमें, हमारे प्रबुद्ध पाठकों से साझा करने का अवसर दिया है। इस कड़ी में प्रस्तुत है उनकी कविता “बादल गीत”।
हाथ जोड़ कर, अम्मा बोली
हाथ जोड़ कर बाबा
हाथ जोड़ कर/नद्दी-नाले
हाथ जोड़ कर
गइया-बछिया
कुत्ता-बिल्ली, मुर्गा-मुर्गी
हाथ जोड़ कर/भेड़-बकरियां
सब कह रए हैं
रुकजा बादल
–हाथ जोड़ कर, दादा बोले
हाथ जोड़ कर अम्मा
रुकजा बादल
सीड़ गइ /घर की दीवारें
टपकों से घर
भर गओ भैइया
मोड़ा-मोड़ी मचल रहे
बाहर जाबे कों/रुकजा बादल
खेतों में घुटनों तक पानी
मिट्टी बह गइ
आने-जाने की गड़बाटें
पगडंडी के संग /जैसे खो गइं…
रामभरोसे को डुकरा
बीमार धरो है/घर में बादल
हाथ जोड़ कर अम्मा बोली
हाथ जोड़ कर बाबा
रुकजा बादल
© श्री प्रयास जोशी
भोपाल, मध्य प्रदेश