हिन्दी साहित्य – नर्मदा परिक्रमा – द्वितीय चरण – कविता # 8 ☆ उल्लू ☆ – श्री प्रयास जोशी

श्री प्रयास जोशी

(श्री प्रयास जोशी जी का ई- अभिव्यक्ति में हार्दिक स्वागत है। आदरणीय श्री प्रयास जोशी जी भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स  लिमिटेड भोपाल से सेवानिवृत्त हैं।  आपको वरिष्ठ साहित्यकार  के अतिरिक्त भेल हिंदी साहित्य परिषद्, भोपाल  के संस्थापक सदस्य के रूप में जाना जाता है। 

ई- अभिव्यक्ति में हमने सुनिश्चित किया था कि – इस बार हम एक नया प्रयोग  करेंगे ।  श्री सुरेश पटवा जी  और उनके साथियों के द्वारा भेजे गए ब्लॉगपोस्ट आपसे साझा  करने का प्रयास करेंगे।  निश्चित ही आपको  नर्मदा यात्री मित्रों की कलम से अलग अलग दृष्टिकोण से की गई यात्रा  अनुभव को आत्मसात करने का अवसर मिलेगा। इस यात्रा के सन्दर्भ में हमने यात्रा संस्मरण श्री सुरेश पटवा जी की कलम से आप तक पहुंचाई एवं श्री अरुण कुमार डनायक जी  की कलम से आप तक सतत पहुंचा रहे हैं।  हमें प्रसन्नता है कि  श्री प्रयास जोशी जी ने हमारे आग्रह को स्वीकार कर यात्रा  से जुडी अपनी कवितायेँ  हमें,  हमारे  प्रबुद्ध पाठकों  से साझा करने का अवसर दिया है। इस कड़ी में प्रस्तुत है उनकी कविता  “उल्लू ”। 

☆ नर्मदा परिक्रमा – द्वितीय चरण – कविता # 8 – उल्लू ☆

 

विद्वान ने कहा- उल्लू में

बड़े ऊ की

मात्रा लगती है

मैंनें, छोटे उल्लू में

बड़े ऊ की मात्रा

लगा कर पूछा-अब

कैसा लगा आपको

आपना,उल्लू ?

—  विद्वान ने

चौंक कर कहा-

क्या मतलब ?

—मतलब यह कि

मात्रा बदलने के बाद

क्या अंतर पड़ा

उल्लू में?

—बोलने में अंतर पड़ा

और काहे में

अंतर पड़ेगा ?

—देखने से तो

कोई अंतर नहीं पड़ा

उल्लू में ?

—क्या मतलब ?

—मतलब यह कि

मात्रा बदलने के बाद

एक ही साइज में

दिख रहे हैं / दोनों उल्लू

या अलग-अलग

साइज में ?

 

©  श्री प्रयास जोशी

भोपाल, मध्य प्रदेश

– ब्रम्हघाट पर रात विश्राम में,उल्लू की आवाज सुन कर –