हिन्दी साहित्य – परसाई स्मृति अंक – संस्मरण ☆ परसाई के रूपराम ☆ – श्री जय प्रकाश पाण्डेय
श्री जय प्रकाश पाण्डेय
(“परसाई स्मृति” के लिए अपने संस्मरण /आलेख ई-अभिव्यक्ति के पाठकों से साझा करने के लिए संस्कारधानी जबलपुर के वरिष्ठ साहित्यकार श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी का हृदय से आभार।)
संस्मरण – परसाई के रुप राम
जबलपुर के बस स्टैंड के बाहर पवार होटल के बाजू में बड़ी पुरानी पान की दुकान है। रैकवार समाज के प्रदेश अध्यक्ष “रूप राम” मुस्कुराहट के साथ पान लगाकर परसाई जी को पान खिलाते थे। परसाई जी का लकड़ी की बैंच में वहां दरबार लगता था। इस अड्डे में बड़े बड़े साहित्यकार पत्रकार इकठ्ठे होते थे साथ में पाटन वाले चिरुव महराज भी बैठते। ये वही चिरुव महराज जो जवाहरलाल नेहरू के विरुद्ध चुनाव लड़ते थे। बाजू में उनकी चाय की दुकान थी मस्त मौला थे।
(स्व. रूप राम रैकवार जी)
आज उस पान की दुकान में पान खाते हुए परसाई याद आये, रुप राम याद आये और चिरुव महराज याद आये। पान दुकान में रुप राम की तस्वीर लगी थी। परसाई जी रुप राम रैकवार को बहुत चाहते थे उनकी कई रचनाओं में पान की दुकान रुप राम और चिरुव महराज का जिक्र आया है।
अब सब बदल गया है, बस स्टैंड उठकर दूर दीनदयाल चौक के पास चला गया परसाई नहीं रहे और नहीं रहे रुप राम और चिरुव महराज… पान की दुकान चल रही है रुप राम का नाती बैठता है बाजू में पुलिस चौकी चल रही है पवार होटल भी चल रही है चिरुव महराज की चाय की होटल बहुत पहले बंद हो गई थी एवं वो पुराने जमाने का बंद किवाड़ और सांकल भी वहीं है और रुप राम तस्वीर से पान खाने वालों को देखते रहते हैं।
साभार – श्री जयप्रकाश पाण्डेय