श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी का  हिन्दी बाल -साहित्य  एवं  हिन्दी साहित्य  की अन्य विधाओं में विशिष्ट योगदान हैं।आज प्रस्तुत है प्रदीप गुप्ता जी  की पुस्तक  “गलती से मिस्टेक (हास्य-व्यंग्य कविताएं)” की पुस्तक समीक्षा।)

☆ पुस्तक चर्चा ☆ ‘गलती से मिस्टेक (हास्य-व्यंग्य कविताएं)’ – प्रदीप गुप्ता ☆ समीक्षा – श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ ☆

पुस्तक: गलती से मिस्टेक

रचनाकार: प्रदीप गुप्ता 

प्रकाशक: निखिल पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स, 37 शिवराम कृपा, विष्णु कॉलोनी, शाहगंज आगरा-20 उत्तर प्रदेश  मो 94580 09531

समीक्षक : ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’

किसी के पास हंसने-हंसाने व गुदगुदाने का समय नहीं है – ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ 

आज के जमाने में जब जिंदगी रफ्तार से दौड़ रही है किसी के पास हंसने-हंसाने व गुदगुदाने का समय नहीं है। आज की व्यस्तम जिंदगी में हास्य व्यंग्य की रचनाएं भी कम लिखी जा रही है। ऐसे समय में ‘गलती से मिस्टेक’ हास्य व्यंग्य की कविताओं का संग्रह का प्रकाशित होना ठीक वैसा ही है जैसे तपती दोपहर में वर्षा की ठंडी फुहार या हवा का चलना। जिससे हमें बहुत ही राहत मिलती है।

गलती से मिस्टेक के रचनाकार प्रदीप गुप्ता की यह तीसरी पुस्तक है। जिसका विमोचन अंतरराष्ट्रीय पत्र लेखन मुहिम के सम्मान समारोह में पिछले दिनों सवाई माधोपुर में हुआ था। 

आकर्षित शीर्षक वाली इस पुस्तक- गलती से मिस्टेक, में रचनाकार ने समाज में व्याप्त अव्यवस्था, विसंगतियों, विडंबनाओं, पाखंड, राजनीति आदि पर अपनी कविता के माध्यम से तीखा प्रहार करने की कोशिश की है। रचनाओं में अतिरंजना, विविधता, बिम्ब, व्यंग्य, हास्य आदि के द्वारा कटाक्ष को उभारने की सफल कोशिश की है।

कभी-कभी हम जो बातें सीधे ढंग से व्यक्त नहीं कर पाते हैं उसे हास्य और व्यंग्य द्वारा मारक ढंग से व्यक्त कर देते हैं। इसी को मद्देनजर रखते हुए रचनाकार ने व्यक्ति, जीव, जानवर, भाव, विभाव, परिस्थिति,  स्थितियों, बंद, व्यवस्था, सामाजिक रीतिरिवाज, कार्य-व्यवहार, रीति’नीति आदि पर धारदार व्यंग्य व हास्य कविताएं प्रस्तुत की हैं।

मुझको लगता है कि अब तो बेचारी 

पढ़ाई भी खुद ही शरमा जाएगी।

क्योंकि नेतागिरी भी अब

कॉलेज में पढ़ाई जाएगी।।

गुंडागर्दी, झूठ, बेईमानी और 

गिरगिट की तरह रंग बदलने की कला 

भी वही सिखाई जाएगी ।।

जैसे व्यंग्य व हास्य कविताएं इस संकलन में आकर्षक साज-सज्जा से युक्त सफेद कागज पर त्रुटिरहित मुद्रण के साथ प्रकाशित की गई हैं। कवि की अपनी कविताओं पर अच्छी पकड़ है। वे हास्य-व्यंग्य की रचनाओं को बेहतर ढंग से प्रस्तुत करने में सफल रहे हैं।एक सौ पांच पृष्ठ की पुस्तक का मूल्य ₹150 वाजिब है। इस पुस्तक का हास्य-व्यंग्य की दुनिया में भरपूर स्वागत किया जाएगा। ऐसा विश्वास है।

© ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

31-03-2022

पोस्ट ऑफिस के पास, रतनगढ़-४५८२२६ (नीमच) म प्र

ईमेल  – [email protected]

मोबाइल – 9424079675

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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