हिन्दी साहित्य – मनन चिंतन ☆ संजय दृष्टि – ज्ञान ☆ श्री संजय भारद्वाज
श्री संजय भारद्वाज
(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही गंभीर लेखन। शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं। हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। )
☆ संजय दृष्टि – ज्ञान ☆
चर और अचर के, जीव और जीवन के हर आयाम का समग्रता से प्राप्त अनुभव ही ज्ञान कहलाता है,” एक वक्ता ज्ञान को परिभाषित कर रहे थे।
मेरी आँखों के आगे तैरने लगे वे असंख्य चेहरे, जो नारी से परे रहकर जगत की दृष्टि में ज्ञान की पराकाष्ठा तक पहुँचे थे। विचार उठा, आधी दुनिया को तजकर अधूरी दुनिया से प्राप्त अनुभव समग्र कैसे हो सकता है?
© संजय भारद्वाज, पुणे
☆ अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆ सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय ☆ संपादक– हम लोग ☆ पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆
मोबाइल– 9890122603