हिन्दी साहित्य – मनन चिंतन ☆ संजय दृष्टि – काल का पहिया ☆ श्री संजय भारद्वाज
श्री संजय भारद्वाज
(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही गंभीर लेखन। शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं। हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। )
लहरों को जन्म देता है प्रवाह
सृजन का आनंद मनाता है,
उछाल के विस्तार पर झूमता है
काल का पहिया घूमता है,
विकसित लहरें बाँट लेती हैं
अपने-अपने हिस्से का प्रवाह,
शिथिल तन और
खंडित मन लिए प्रवाह
अपनी ही लहरों को
विभक्त नहीं कर पाता है,
सुनो मनुज!
मर्त्यलोक में माता-पिता
और संतानों का
कुछ ऐसा ही नाता है!
© संजय भारद्वाज, पुणे
( 8.35 बजे, 18 मई 2019)
☆ अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆ सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय ☆ संपादक– हम लोग ☆ पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆
मोबाइल– 9890122603