श्री संजय भारद्वाज

(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही  गंभीर लेखन।  शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं  और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।  हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक  पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को  संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। )

? संजय दृष्टि – पल-पल ? ?

छोटी-सी थी

कितनी बड़ी हो चली है,

बूँद-सी लगती थी

धारा बन बह चली है,

जीवन की गति पर

आश्चर्य जता रहा था,

दर्पण में दिखती

अपनी उम्र से बतिया रहा था,

आश्चर्य पर हँस पड़ी वह

कुछ यूँ कहने लगी वह,

धीमे चलने, पिछड़ जाने

का सोग जीवन भर रहा,

आगमन-गमन की घटती दूरी पर

कभी चिंतन ही न हुआ,

बीता कल, आता कल,

कल हुआ हरेक पल,

भूत,भविष्य की चर्चा में

हाथ से निकला हर पल,

यह पल यथार्थ है

यह पल भावार्थ है

इस पल को साँसों में उतार लो

इस पल को रक्त में निचोड़ लो

अन्यथा दर्पण हमेशा है,

बढ़ती उम्र हमेशा है,

कल होता पल हमेशा है,

और बातूनी तो

तुम हमेशा से हो ही..!

© संजय भारद्वाज 

प्रातः 7:19 बजे, 01.01.2019

अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय संपादक– हम लोग पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆   ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स 

मोबाइल– 9890122603

संजयउवाच@डाटामेल.भारत

[email protected]

☆ आपदां अपहर्तारं ☆

💥 माधव साधना- 11 दिवसीय यह साधना  बुधवार दि. 6 सितम्बर से शनिवार आज 16 सितम्बर तक चलेगी💥

🕉️ इस साधना के लिए मंत्र होगा- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय 🕉️

अनुरोध है कि आप स्वयं तो यह प्रयास करें ही साथ ही, इच्छुक मित्रों /परिवार के सदस्यों  को भी प्रेरित करने का प्रयास कर सकते हैं। समय समय पर निर्देशित मंत्र की इच्छानुसार आप जितनी भी माला जप  करना चाहें अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं ।यह जप /साधना अपने अपने घरों में अपनी सुविधानुसार की जा सकती है।ऐसा कर हम निश्चित ही सम्पूर्ण मानवता के साथ भूमंडल में सकारात्मक ऊर्जा के संचरण में सहभागी होंगे। इस सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी के लिए आप श्री संजय भारद्वाज जी से संपर्क कर सकते हैं। 

संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments