श्री संजय भारद्वाज

(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही  गंभीर लेखन।  शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं  और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।  हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक  पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को  संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं।)

? संजय दृष्टि – यह आदमी मरता क्यों नहीं है..? ? ?

(कवितासंग्रह ‘चेहरे’ से।)

हार कबूल करता क्यों नहीं है

यह आदमी मरता क्यों नहीं है..?

*

कई बार धमाकों से उड़ाया जाता है,

गोलीबारी से परखच्चों में बदल दिया जाता है,

ट्रेनों की छतों से खींचकर

नीचे पटक दिया जाता है

अमीरज़ादों की ‘ड्रंकन ड्राइविंग’

के जश्न में कुचल दिया जाता है,

*

कभी दंगों की आग में

जलाकर ख़ाक कर दिया जाता है

कभी बाढ़ राहत के नाम पर

ठोकर-दर-ठोकर क़त्ल कर दिया जाता है,

कभी थाने में उल्टा लटका कर

दम निकलने तक बेदम पीटा जाता है,

कभी बराबरी की ज़ुर्रत में

घोड़े के पीछे बांधकर खींचा जाता है,

*

सारी ताक़तें चुक गईं,

मारते-मारते खुद थक गईं

*

न अमरता ढोता कोई आत्मा है,

न ईश्वर या अश्वत्थामा है,

फिर भी जाने इसमें क्या भरा है,

हज़ारों साल से सामने खड़ा है,

*

मर-मर के जी जाता है,

सूखी ज़मीन से अंकुर सा फूट आता है,

ख़त्म हो जाने से जाने डरता क्यों नहीं है,

यह आदमी मरता क्यों नहीं है..?

© संजय भारद्वाज  

अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय, एस.एन.डी.टी. महिला विश्वविद्यालय, न्यू आर्ट्स, कॉमर्स एंड साइंस कॉलेज (स्वायत्त) अहमदनगर संपादक– हम लोग पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆ 

मोबाइल– 9890122603

संजयउवाच@डाटामेल.भारत

[email protected]

☆ आपदां अपहर्तारं ☆

💥 गणेश चतुर्थी तदनुसार आज शनिवार 7 सितम्बर को आरम्भ होकर अनंत चतुर्दशी तदनुसार मंगलवार 17 सितम्बर 2024 तक चलेगी।💥

🕉️ इस साधना का मंत्र है- ॐ गं गणपतये नमः। 🕉️

साधक इस मंत्र के मालाजप के साथ ही कम से कम एक पाठ अथर्वशीर्ष का भी करने का प्रयास करें। जिन साधकों को अथर्वशीर्ष का पाठ कठिन लगे, वे कम से कम श्रवण अवश्य करें।

अनुरोध है कि आप स्वयं तो यह प्रयास करें ही साथ ही, इच्छुक मित्रों /परिवार के सदस्यों  को भी प्रेरित करने का प्रयास कर सकते हैं। समय समय पर निर्देशित मंत्र की इच्छानुसार आप जितनी भी माला जप  करना चाहें अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं ।यह जप /साधना अपने अपने घरों में अपनी सुविधानुसार की जा सकती है।ऐसा कर हम निश्चित ही सम्पूर्ण मानवता के साथ भूमंडल में सकारात्मक ऊर्जा के संचरण में सहभागी होंगे। इस सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी के लिए आप श्री संजय भारद्वाज जी से संपर्क कर सकते हैं। 

संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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