मानवीय एवं राष्ट्रीय हित में रचित रचना
श्री संजय भारद्वाज
(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही गंभीर लेखन। शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं। हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुँचाते रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। )
(आज के अंक के माध्यम से श्री संजय भारद्वाज जी से आपसे एक महत्वपूर्ण संवाद करना चाहते हैं। आप सबसे विनम्र निवेदन है कि इस संवाद से स्वयं को जोड़ें तथा मानवीय एवं राष्ट्रीय हित में इस अभियान के सहभागी बनें। )
☆ संजय दृष्टि – अत्यंत महत्वपूर्ण संवाद ☆
विवादों की चर्चा में
युग जमते देखे,
आओ संवाद करें
युगों को पल में पिघलते देखें।
मेरे तुम्हारे चुप रहने से
बुढ़ाते रिश्ते देखे,
आओ संवाद करें
रिश्तो में दौड़ते बच्चे देखें।
कोविड-19 से संघर्ष में संवाद महत्त्वपूर्ण अस्त्र सिद्ध हो सकता है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इस अस्त्र के महत्व और शक्ति पर आज अपने पाठकों से प्रत्यक्ष संवाद प्रस्तुत है।
इस संवाद का यूट्यूब लिंक दिया है।
यूट्यूब लिंक >>>>>>
श्री संजय भारद्वाज जी का आपसे प्रत्यक्ष संवाद
कृपया इस अभियान से जुड़ें, अधिक से अधिक साथियों को इससे जोड़ें।
© संजय भारद्वाज, पुणे
☆ अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆ सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय ☆ संपादक– हम लोग ☆ पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆
मोबाइल– 9890122603
देवनदी से उमगते संवाद…
” आवो संवाद करें ” ?
धन्यवाद आदरणीय।