श्री संजय भारद्वाज
(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही गंभीर लेखन। शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं। हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। )
☆ संजय दृष्टि – परिचय ☆
अपना
विस्तृत परिचय भेजो,
उन्होंने कहा..,
मैंने लिख भेजा
केवल एक शब्द-
कविता…,
सुना है
‘डिस्क ओवरलोडेड’ कहकर
सिस्टम हैंग हो गया है।
# घर में रहें, सुरक्षित रहें।
© संजय भारद्वाज, पुणे
20.9.2018, प्रात: 11.19 बजे
☆ अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆ सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय ☆ संपादक– हम लोग ☆ पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆
अद्भुत परिचय !
*कविता* शब्द में तो संपूर्ण सृष्टि समाहित है!परिचय देने वाले की महानता है कि एक शब्द में ब्रह्मांड का दर्शन करा दिया!
आप सिस्टम हैंग होने की बात करते हैं ! यहाँ तो हर पाठक ही हैंग हो जाता है ,एक सम्मोहन की तरह और उसकी यात्रा भीतर की ओर होने लगती है।
कविता शब्द परिचय के लिए बहुत विस्तृत था। इसमें सृष्टि की सभी तरह की कविताओं का समावेश हो गया।शायद इसीलिए सिस्टम हैंग हो गया।