श्री संजय भारद्वाज
(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही गंभीर लेखन। शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं। हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। )
☆ संजय दृष्टि ☆ सृजन ☆
क्या है तुम्हारे
लेखन का कारण
और कहन का कारक?
किसका है प्रभाव,
और कौन है प्रेरक?
जो लिखता-कहता हूँ
तुम घोषित कर देते हो सृजन,
मेरे लेखन का
कारण तुम हो, कारक तुम हो,
प्रेरणा और प्रेरक भी तुम हो,
तुम हो तो सृजन है
अन्यथा सब विसर्जन है!
© संजय भारद्वाज
प्रात: 8:56 बजे, 31.8.2020
☆ अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆ सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय ☆ संपादक– हम लोग ☆ पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆
मोबाइल– 9890122603
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
सुंदर अभिव्यक्ति
लेखक के लिए पाठक ही उसकी प्रेरणा, प्रेरक,कारण व कारक सब वो ही है और तभी उसका सृजन सार्थक है।सुंदर भावाभिव्यक्ति।
पाठक हो तो लेखक की सृजनात्मकता को गति और दिशा मिलती है।
सुंदर अभिव्यक्ति