श्री संजय भारद्वाज
(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही गंभीर लेखन। शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं। हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। )
? सभी मित्रों को दुर्गाष्टमी की हार्दिक बधाई ?
त्योहार विधिवत एवं सामूहिक रूप से मनाएँ।
अनुरोध है कि कन्यापूजन निमित्त अधिकाधिक निर्धन बच्चियों को भोजन कराएँ।
यह हमारा सामाजिक दायित्व भी है। साथ ही इन बच्चियों के जीवन में थोड़े समय के लिए आनंदरस घोल कर हम स्वयं भी आनंदित होंगे। यूँ भी आनंद से ही परमानंद की दिशा में यात्रा हो सकती है। …संजय भारद्वाज
☆ संजय दृष्टि ☆ विधान ☆
चाँदनी के आँचल से
चाँद को निरखते हैं,
इतने विधानों के साथ
कैसे लिखते हैं..?
सीधी-सादी कहन है मेरी
बिम्ब, प्रतीक,
उपमेय, उपमान
तुमको दिखते हैं..!
21.10.20, रात्रि 10:09
☆ अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆ सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय ☆ संपादक– हम लोग ☆ पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆
मोबाइल– 9890122603
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।