श्री संजय भारद्वाज
(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही गंभीर लेखन। शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं। हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। )
संजय दृष्टि – भेड़िया
भेड़िया उठा ले गया
झाड़ी की ओट में,
बर्बरता से उसका
अंग-प्रत्यंग भक्षण किया,
कुछ दिन बाद
देह का सड़ा-गला
अवशेष बरामद हुआ,
भेड़ियों का ग्राफ
निरंतर बढ़ता गया,
फिर यकायक
दुर्लभ होते प्राणियों में
भेड़िये का नाम पाकर
मेरा माथा ठनक गया,
अध्ययन से यह
तथ्य स्पष्ट हुआ,
चौपाये भेड़िये
जिस गति से घट रहे हैं,
दोपाये भेड़िये
उससे कई गुना अधिक
गति से बढ़ रहे हैं…!
© संजय भारद्वाज
(प्रातः 3.45 बजे, 26.4.2019)
अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆ सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय ☆ संपादक– हम लोग ☆ पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
चौपायों का दोपायों में परिवर्तन समाज के लिए चिंता का विषय है।इस पर कठोर निर्णय लेना अति आवश्यक है।
चौपायों का दोपायों में परिवर्तित हो जाना जितना दुर्भाग्यपूर्ण..उतना ही कठोर सत्य भी! ??
चौपाये भेड़ियों की निर्ममता हो या दोपाये भेड़ियों की बढ़ती निर्ममता आज शोचनीय विषय है – भयंकर क्रूरता की ओर इंगित करता और वर्तमान स्थिति का जायजा लेता , उपाय ढूँढ़ता मर्माहत रचनाकार ……..उबूंटू ?