श्री संजय भारद्वाज
(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही गंभीर लेखन। शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं। हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। )
प्रत्येक बुधवार और रविवार के सिवा प्रतिदिन श्री संजय भारद्वाज जी के विचारणीय आलेख एकात्मता के वैदिक अनुबंध : संदर्भ – उत्सव, मेला और तीर्थयात्रा श्रृंखलाबद्ध देने का मानस है। कृपया आत्मसात कीजिये।
संजय दृष्टि – एकात्मता के वैदिक अनुबंध : संदर्भ- उत्सव, मेला और तीर्थयात्रा भाग – 40
मथुरा-वृंदावन-
मथुरा भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली है। यहाँ श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर है। सनातन एकात्मता देखिए कि वंशीधर कन्हैया की नगरी के कोतवाल भुजंगधारी नीलकंठ हैं। मथुरा की चार दिशाओं में भगवान शंकर के चार मंदिर हैं।
वृंदावन माखनचोर की बाल लीलाओं का केंद्र रहा। ‘राधे-राधे जपो, चले आयेंगे मुरारी’ यूँ ही नहीं कहा गया है। जीवन की धारा को उलट दिया जाय तो धारा, राधा हो जाती है। यह केवल अक्षरों का परस्पर परिवर्तन नहीं अपितु वृंदावन का जीवनदर्शन है। यही कारण है कि यहाँ अभिवादन, संबोधन से लेकर रास्ता पूछने तक हर कार्य का आदिसूत्र ‘राधे-राधे’ है। बांके बिहारी जी का मंदिर, अक्षय पात्र, निधिवन और पग-पग पर कृष्णलीला के साक्षी बने अनेकानेक दर्शनीय स्थान यहाँ हैं।
मथुरा के पास स्थित वृंदावन, गोकुल, नंदगांव, बरसाना, गोवर्धन से लेकर सुदूर के गाँवों को मिलाकर बनता है ब्रजक्षेत्र। ब्रजक्षेत्र में चौरासी कोस की परिक्रमा की जाती है। 268 किमी. की इस परिक्रमा में 1300 से अधिक गाँव, 1000 सरोवर, 48 वन, 24 कदम्ब खण्डियाँ, यमुना जी के अनेक घाट, छोटे-बड़े कई पर्वत एवं लोकमान्यता के अनेकानेक क्षेत्र आते हैं। जीव की 84 लाख योनियाँ और 84 कोस की परिक्रमा का अंतर्सम्बंध वैदिक एकात्मता का उच्चबिंदु है।
क्रमश: ….
© संजय भारद्वाज
अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆ सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय ☆ संपादक– हम लोग ☆ पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆
संजयउवाच@डाटामेल.भारत
मथुरा में जन्मे गोकुल में पले बढ़े बरसाने की राधा की सांस-सांस में रहे श्रीकृष्ण को शत शत नमन।
श्रीकृष्ण की जन्मस्थली को बहुत ही ज़ोरदार ढंग से चित्रित किया है – राधे राधे
वह सुंदर सलोना रूप ..वाह…
शिव भक्ति को भी आलोकित किया है ——नमन
मथुरा और राधे राधे